मैं करता गया उनके लिए उनकी तरह
वह मेरी मज़बूरी थी।
फायदा उन्होंने मुझसे लूटा अपने लिए अपनी तरह
क्यों की मैं मज़बूर था।
मेरी ईमानदारी को उन्होंने दिया खिताब बेवकूफी का
मुस्कराते हुए अपनाया उस खिताब को
क्यों की मैं मजबुर था।
अपनी ही मज़बूरी से सुलाह करता हुआ मैं
छोड़ आया बहुत पीछे उस मोड़ को
जहां आज भी वो तलाश रहे हैं किसी और मज़बूर को।
A R Sarkar